लगने लगी है यह साँसें बेमानी टूटा है मोहब्बत से कुछ इस कदर यक़ीन भटकने का मन कर रहा …
हालातों ने कुछ यूँ रचा गजब का खेल की गायब ही हो गया अपनो में से अपनापन चेहरे पे सजी …
सुकून है मेरे लिए तेरी एक छोटी सी झलक तेरी मीठी बातें मरहम है मेरे पुराने ज़ख्मों का…
टूट पड़ते हैं एक दूसरे के ऊपर छोटी छोटी बातों पे पर दूसरे के दर्द पे आँसू छलक ही पड़…
पलटता रहा अतीत के पन्ने एक के बाद एक पर ग़म के सिवा उनमे था नही कुछ बस इस उम्मीद में …
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