रूठा है कोई हमसे इतना की अब
हमारी परछाई भी उसको गवारा नहीं
कल तक सीने से लिपट के रहती थी
अब हमारी तक़लीफ़ की भी उसे परवाह नहीं
रूठा है कोई हमसे इतना की अब
हमारी परछाई भी उसको गवारा नहीं
कल तक सीने से लिपट के रहती थी
अब हमारी तक़लीफ़ की भी उसे परवाह नहीं
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