शिकायत कभी हमे हुई ना तेरी बेवफ़ाई से
बस गिला है तुझसे बांधी हुई उस उम्मीद से
दिल पे वार तो इंसान सह भी लेता
पर तुम तो खेल गई मेरी ज़िन्दगी से
Shikayat Kabhi Hume Hui Naa Teri Bewafai Se
Bas Gila Hai Tujhse Baandhi Hui Uss Umeed Se
Dil Pe Vaar Toh Insaan Seh Bhi Leta
Par Tum Toh Khel Gayi Meri Zindagi Se
शिकायत क्या करूँ उनकी
जिन्होने हमे दर्द के सिवा कुछ दिया ही नहीं
बस एक जलजले की तरह आई और गई
प्यार को समझने का मौका हमे मिला ही नहीं
Shikayat Kyaa Karun Unki
Jinhone Hume Dard Ke Siwa Kuch Diyaa Hi Nahin
Bas Ek Jaljale Ki Tarah Aai Aur Gai
Pyaar Ko Samajhne Kaa Maukaa Hume Milaa Hi Nahin
किया था तुमसे सच्ची मोहब्बत
तो कैसे करता तुमसे शिकायत
खुदा से ज्यादा इबादत करता था तेरी
तुम नहीं थी बस मेरी चाहत
Kiyaa Tha Tumse Sacchi Mohabbat
Toh Kaise Karta Tumse Shikayat
Khuda Se Jyadaa Ibadat Karta Tha Teri
Tum Nahin Thi Bas Meri Chahat
शिकायत तो बस उस खुदा से है
जिसने तेरा मुझसे दीदार कराया
मौज में कट रहे थे मेरे दिन
तेरी मौजूदगी ने मुझे दर्द से रूबरू कराया
Shikayat Toh Bas Uss Khuda Se Hai
Jisne Tera Mujhse Deedar Karaya
Mauj Mein Kat Rahe The Mere Din
Teri Maujudgi Ne Mujhe Dard Se Rubaru Karaya
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