बिना कोई ख्वाइश के खुद को समर्पण करो
प्यार की उम्मीद करते हो तो पहले खुद प्यार करो
यूँही मुकम्मल नहीं होती किसी की मोहब्बत
चाहे दर्द कितना हो प्यार में
हर मुश्किल को मुस्कुराके पार करो
Bina Koi Khwahish Ke Khud Ko Samarpan Karo
Pyaar Ki Umeed Karte Ho Toh Pehle Khud Pyaar Karo
Yunhi Mukammal Nahin Hoti Kisi Ki Mohabbat
Chahe Dard Kitna Ho Pyaar Mein
Har Mushkil Ko Muskurake Paar Karo
मोहब्बत पूर्ण समर्पण माँगता है
खुले दिल से अपनापन चाहता है
गुंज़ाइश नहीं होती इसमे कोई शक़ की
यह तो खुदा की इबादत जैसे होता है
Mohabbat Purna Samarpan Maangta Hai
Khule Dil Se Apnapan Chahta Hai
Gunzaish Nahin Hoti Isme Koi Shaq Ki
Yeh Toh Khuda Ki Ibadat Jaise Hota Hai
शिकायतों से भरा हो वह मोहब्बत क्या
जिसमे समर्पण ना हो वह मोहब्बत क्या
प्यार के अंगारों से तू गुज़र जा
आसानी से जो हासिल हो जाए वह मोहब्बत क्या
Shikayaton Se Bhara Ho Woh Mohabbat Kya
Jisme Samarpan Naa Ho Woh Mohabbat Kya
Pyaar Ke Angaron Se Tu Guzar Jaa
Asaani Se Jo Haasil Ho Jaaye Woh Mohabbat Kya
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